न्यायालय अवमानना कानून का जोखिम उठाता वन विभाग बैतूल
वाहन मुक्त किए जाने के न्यायिक आदेष पर अमल नहीं।
मप्र राज्य। भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 52 में वन अपराध में जप्तषुदा वाहनों की ना केवल राजसात की कार्यवाही कच्छप चाल से चलती हैं बल्कि न्यायालय के आदेष पर वाहन को मुक्त करने की कार्यवाही भी कच्छप चाल से चलती हैं। एसडीओ फारेस्ट एवं सीसीएफ वन अपराध के मामलों के निराकरण में ना केवल पिछड़े हुए हैं बल्कि विधिसम्मत् आदेष करने में भी विफल साबित हो रहे हैं। वन अधिकारियों के वाहन राजसात के फैसले अदालत में टिक नहीं पा रहे हैं। कीमत आम जनता चुका रहीं हैं जिसके वाहन महीनों एवं वर्षो से मुक्त होने का इंतजार कर रहे हैं। कानून का लक्ष्य भले ही कमर्षियल वाहनों पुलिस या वन विभाग की अभिरक्षा में लंबे समय तक रखना नहीं हैं लेकिन वन विभाग के अधिकारियों का लक्ष्य तो यहीं हैं।
वन परिक्षेत्राधिकारी सारणी के वन अपराध क्र0 69/40 में एसडीओ फारेस्ट सारणी द्वारा जप्तषुदा वाहन ट्रैक्टर ट्राली को राजसात कर लिया गया। ट्रैक्टर ट्राली में खनिज रेत का परिवहन किया जा रहा था जिसे वन विभाग ने जप्त कर लिया था। ग्राम कोल्हिया तह0 घोड़ाडोगरी जिला बैतूल निवासी कार्तिक बढ़ाल ने वन अधिनियम 1927 की धारा 52 (क) में अपील मुख्य वन संरक्षक बैतूल की अदालत में दाखिल करी थी। हमेषा की तरह सीसीएफ ने वन विभाग के प्रवक्ता की भूमिका में आकर वाहन राजसात के आदेष को सही ठहराते हुए अपील खारीज कर दी थी। एसडीओ फारेस्ट सारणी के आदेष में मौजूद वैधानिक दोष सीसीएफ बैतूल को पहले भी कभी नजर नहीं आते थे और आज भी कभी नजर नहीं आते हैं।
जिला एवं सत्र न्यायालय बैतूल में भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 52 (ख) में पुनरीक्षण याचिक दाखिल कर सीसीएफ बैतूल के आदेष को चुनौती दी गई। कार्तिक बढ़ाल की ओर से भारत सेन अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट की कई नजीरों को पेष किया। न्यायालय में वन विभाग यह साबित ही कर पाया कि वाहन स्वामी की जानकारी में कथित वन अपराध घटित हुआ था। दरअसल वाहन स्वामी कार्तिक बढ़ाल द्वारा वाहन को मुकुद बढ़ाल को बेच चुका था। परिवहन विभाग में वाहन के नामांतरण की प्रक्रिया के पूर्व ही मुकुद बढ़ाल का वाहन चालक सोनू उईके से खनिज रेत परिवहन के दौरान ही वन विभाग ने वाहन को जप्त कर लिया था। वन अपराध दस्तावेजो से ही यह साबित हो रहा था कि कार्तिक बढ़ाल पंजीकृत वाहन स्वामी हैं और वाहन उसे कब्जे एवं नियंत्रण में नहीं था। इसके अतिरिक्त वन विभाग ने वाहन स्वामी को वन अपराध के प्रषमन का मौका नहीं दिया था जो कि उसका कानूनी अधिकार था।
न्यायालय सत्र न्यायाधीष बैतूल प्रणेष कुमार प्राण ने पुनरीक्षण याचिका क्र0 57/2022 में कार्तिक बढ़ाल की वन विभाग बैतूल के सीसीएफ के आदेष को अपास्त करते हुए वन अपराध में जप्तषुदा वाहन को मुक्त करने का आदेष 14 फरवरी 2023 को जारी कर दिया। न्यायालय का वाहन मुक्त करने का आदेष जारी हुए करीब एक माह से अधिक का समय बीत चुका हैं लेकिन वन विभाग बैतूल ने वाहन को मुक्त करने की दिषा में वैधानिक कार्यवाही अभी तक पूरी नहीं की हैं। वन विभाग ने न्यायालय अवमानना काूनन का जोखिम उठ लिया हैं जिसकी जद् में सीसीएफ बैतूल, एसडीओ सारणी एवं वन परिक्षेत्राधिकारी आ गए हैं। इस समय न्यायालय में अधिवक्तागण की हड़ताल चल रहीं हैं जिसके चलते न्यायालय अवमानना कानून का मुकदमा वाहन स्वामी कार्तिक बढ़ाल पेष नहीं कर पा रहा हैं लेकिन अधिवक्ता हड़ताल किसी भी समय खत्म भी हो सकती हैं। वन अपराध में जप्त वाहन 22.10.2021 से खड़ा हैं जो कि कबाड़ बन रहा हैं। वन अधिनियम 1927 की धारा 53 में प्रतिभूति पर वाहन मुक्त करने का विधान दिया गया हैं लेकिन वन विभाग में इस पर अमल नहीं होता हैं।
जिला ब्यूरो चीफ देवीनाथ लोखंडे की खास रिपोर्ट