पालक अपने नौनिहालों को पढ़ने के लिए भिजवाते हैं स्कूल, वहां शिक्षक उनसे धुलवा रहे बर्तन और भरवा रहे पानी।
बैतूल /आजाद हिंदुस्तान /देवीनाथ लोखंडे।
बैतूल खेड़ीसांवलीगढ़
माता-पिता अपने बच्चों को इस उम्मीद से स्कूल भेजते हैं कि वे वहां पढ़ लिख कर भविष्य में कुछ बनकर उनका नाम रोशन करेंगे। इसके विपरित विकासखंड बैतूल के भडूस संकुल अंतर्गत ताप्ती नदी किनारे ग्राम पंचायत सराड़ के चिचढाना गांव की प्राथमिक शाला में नौनिहालों की पढ़ाई लिखाई करवाने के बजाय उनसे मजदूर की तरह काम करवाया जा रहा है। यहां के शिक्षकों द्वारा पहली और दूसरी में पढ़ने वाले मासूम बच्चों से बर्तन साफ करवाने और बड़ी-बड़ी बाल्टियों में हैडपम्प से पानी भरकर स्कूल में बुलवाने जैसे काम करवाए जा रहे हैं।
ग्रामीणों ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस स्कूल में बच्चों की यह दिनचर्या ही बना दी गई है। जिन मासूम बच्चों को अभी ठीक से अपने हाथों से खाने तक की समझ नहीं है उन बच्चों से बर्तन धुलवाने और पानी भरने जैसे मेहनती काम करवाए जा रहे हैं। ग्रामीणों ने बच्चों के काम करवाते हुए वीडियो भी ‘बैतूल अपडेट’ को उपलब्ध कराए हैं। इधर दूसरी ओर नियम यह कहता है कि स्कूल में बच्चों से ऐसे कोई काम नहीं करवाए जा सकते।
दूसरी क्लास में पढ़ने वाली गुड़िया ने बताया कि उन्हें रोज हैडपम्प से पानी भरने लगाया जाता है और बर्तन भी साफ कराए जाते हैं। निशा का कहना है कि हैंडपम्प में पानी बहुत देर में आता है।जिससे वे पानी भरने में थक जाते हैं। ज्यादा हेड पंप चलाने से बच्चे हताश होकर पसीना पोछते हैं और फिर पानी भरने लगते हैं
ऐसे में ग्रामीण भी शिक्षकों की इस कार्यप्रणाली से बेहद खफा हैं, लेकिन विरोध करने या शिकायत करने पर उनके बच्चों का स्कूल से नाम ना काट दे, यह सोचकर वे खामोश रहने को मजबूर हो जाते हैं। हालांकि ग्रामीण यह जरूर कहते हैं कि स्कूल में पदस्थ सहायिका 5 हजार वेतन ले रही है। क्या उस सहायिका से यह काम नहीं लिया जा सकता है? ग्राम पंचायत के सरपंच ने भी इस पर नाराजगी जताई है और शिक्षकों पर सख्त कार्यवाही की मांग की है।
इस संबंध में भडूस संकुल के प्रभारी डीडी धोटे का कहना है कि आपने वीडियो के माध्यम से मुझे अवगत कराया है। बच्चों से इस तरह काम नहीं करवाना चाहिए। मैं बीआरसी को कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन भेजता हूं।