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कोरोना के नाम पर फर्जीवाडे की सच्ची कहानी।      कोरोना से जान गवां चुकी एक माँ के बेटे की जुबानी।

रिपोटर कौशिक पंडित तहसील मनावर

कोरोना के नाम पर फर्जीवाडे की सच्ची कहानी।      कोरोना से जान गवां चुकी एक माँ के बेटे की जुबानी।

आज कल सेकड़ो लोग  कोरोना की वजह से नही बल्कि सिस्टम की लापरवाही से मर रहे है। जिला चिकित्सालय बड़वानी में जो कि कैबिनेट मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाए खस्ताहाल भ्रष्ट प्रशासन एवं सरकार की कोविड-19 की पूरी हकीकत ।
*मृतक के पुत्र दिलीप राठौड़ की जुबानी*
मेरी मम्मी शकुंतला पति सीताराम राठौर सिंघाना की आपबीती सुनिये।


मेरी मम्मी को विगत 20 से 25 वर्षों से गठियावाद है थाईराइट एवं ब्लड प्रेशर का इलाज चल रहा था इस दौरान अभी दो दिन 25 ओर 26 अगस्त से बुखार आ रहा था मैनेे बड़वानी के निजी अस्पतालों में दिखाया वहां से उन्होंने बताया कि बुखार आ रहा है तो हमें इलाज की इजाजत नहीं है अतः आप सरकारी हॉस्पिटल में ले जाओ मैं सरकारी हॉस्पिटल गया वहां उन्होंने कोविड सेंटर में एडमिट कर दिया । एडमिट में उन्होंने मम्मी के उपचार में मात्र ऑक्सीजन दिया एवं एक्सरे, ईसीजी की जांच की और मुझे 1 घंटे बाद बताया (लगभग सुबह 11 बजे )कि इन्हें इंदौर रैफर करना पड़ेगा मैंने सवाल किया सर कोरोना जाच आ गई है क्या तब उन्होंने बताया अभी सैंपल लिया है दोपहर 3:00 बजे जाच रिपोर्ट आवेगी मैंने बोला सर जाच आने तक आप यही उपचार करिए तब डॉक्टर ने बताया हमें यहां इस प्रकार के मरीजों के रखने की इजाजत नहीं है तुरंत इंदौर रेफर की कार्यवाही कर कर दी है । एंबुलेंस आने पर इंदौर रेफर कर दिया जाएगा एंबुलेंस का इंतजार करते-करते 3:00 बज गए फिर मैंने सवाल किया सर जांच आ गई या नहीं आई । तब सर ने कहा कि आप जाँच लेने लेब में चले जाइए। मैं जांच लेने लैब में पहुंचा और मैंने वहां अपने मम्मी के नाम से जांच की रिपोर्ट मांगी तो वहां बताया गया कि इस नाम से कोई भी सैंपल यहां पर नहीं आया है । तब मैं एडमिशन कक्ष में पहुंचा और मैंने सारी बात बताई तब उन्होंने कहा कि आप सेंपल लेने वाले कक्ष पर पहुचे मैं जब वहां पहुंचा तो उन्होंने मुझे दूसरे काउंटर पर भेज दिया । जब मैं जांच काउंटर पर गया तो वहां पर भी एक घंटा खड़ा रहा जॉच काउंटर में कोई कर्मचारी नहीं था फिर जिसने सैम्पल लिया मैं उसके पास गया उनको बोला आप आपके पास शकुंतला नाम का सैंपल देखो तो बताया कि यह सैंपल लेब में अब भेजेंगे इस प्रकार उन्होंने हमें पूरा दिन परेशान किया । इसके अलावा पूरा दिन मम्मी का कोई भी उपचार नहीं हुआ यहां तक कि पुरानी बीमारी की गोलियां भी नहीं दी गई । सैंपल की जांच तकरीबन 7:00 बजे तक नही आई फिर हमारे द्वारा SDM को फोन लगाने के पश्चात रात्रि 9:00 बजे आई । एंबुलेंस का इंतजार प्रातः 11:00 बजे से रात 9:00 बजे तक किया गया । अब एंबुलेंस के हाल सुनिये उस एंबुलेंस में ऐसी ओर पंखे भी बंद पड़े थे । सरकारी नियमों के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति या परिजन कोरोनावायरस मरीज के साथ नहीं जा सकता फिर भी एंबुलेंस के ऑपरेटर ने आगे आकर यह कहा कि कोई भी एक व्यक्ति बैठ सकता है तो मेरी मम्मी के साथ बैठ गया । ऑपरेटर ने मुझे ऑक्सीजन चलाने की प्रक्रिया बता दी वह ड्राइवर के पास जाकर बैठ गया । एम्बुलेंस चालक ने बड़वानी से 15 से 20 किलोमीटर आगे जाकर एक और ऑक्सीजन सिलेंडर अंजड़ से लिया । एवं इंदौर से 15 से 20 किलोमीटर पहले ही आक्सीजन सिलेंडर बन्द हो गया उसके बाद मम्मी को घबराहट बढ़ने लगी मैंने ऑपरेटर को बताया उसने आक्सीजन सिलेंडर बदला इस बीच एम्बुलेंस में AC एवं पंखे बन्द होने एवं ऑक्सीजन नही मिलने से से मम्मी की हालत बिगड़ी । बाद में ऑक्सीजन मिलने पर संतुलन 15 से 20 मिनट पर ठीक हुआ । (अगर में साथ नही होता तो इन लोगो की लापरवाही से रास्ते मे ही मम्मी का निधन हो जाता )

*अब इंदौर का घटना क्रम*

एम्बुलेंस से रात्रि करीबन 9 बजे बड़वानी से निकले और MTH अस्पताल इंदौर करीबन रात्रि 1:30 बजे पहुचे । इंदौर पहुचते ही एम्बुलेंस संचालक ने मुझे पीछे से उतारकर आगे बिठा दिया और कहा डॉक्टर को बोलना आगे बैठकर आया वहां पर उन्होंने बताया कि आई सी यू में मम्मी को रखा रखा गया है वहां पर परिजनों को मिलने नहीं दिया जाता है और काउंटर में मरिज संबंधित जानकारी हेतु फोन नंबर चस्पा किए गए 0731 292 0657 उस नंबर पर मैंने के तकरीबन 25 से 30 बार सुबह से रात्रि तक लगाते रहा लेकिन किसी भी बंदे ने किसी भी कर्मचारी ने फोन नहीं अटेंड किया एक बार भी मेरी इस नंबर से बात नहीं हुई मेरी मम्मी से फोन पर बात करने पर बताया कि बेटे मुझे पानी पिला जा खाना खिला जा मुझे घबराहट बहुत हो रही है कम से कम मेरे पास खाने-पीने का झोला है वह देजा और मेरा चश्मा भी देजा मम्मी को मैं आश्वासन देता रहा पानी देने आ रहे हैं मम्मी मुझे नहीं आने दे रहे हैं मेने बाहर कर्मचारी को बोला भाई मेरे मम्मी के पास में झोला है वह झोला पलंग पर रख दे और उनमे चश्मा रखा है और पुरानी गोलिया की थैली भी है वहां पर देकर आजा मुझे उसने आश्वासन दिया लेकिन काम कुछ भी नहीं किया मेरी मम्मी से बात हुई जिसमें मम्मी ने बताया कि केवल दूध आया है मुझे भूख लगी है खाना ले आ बेटा। उन्होंने 24 घंटे में मात्र दूध ही मेरी मम्मी को दिया इन जल्लादों ने मेरी मम्मी को भूखे प्यासे मार डाली मेरे परिचित डॉक्टर के कहने पर 32400 के 6 इंजेक्शन भी उपलब्ध करा दिए उसमें से मात्र एक इंजेक्शन लगा बाकी रखे रह गए इन कमीनों ने मोबाइल एवं स्टिल की पानी की बोतल भी वापस नहीं दि मैंने मेरी मम्मी को झोले में खाने-पीने की ओर दवाई का झोला दिया था तो वह झोला भी जैसे का तैसा दिया वैसे का वैसा वापिस किया किसी भी कर्मचारी ने झोले में से मम्मी को खाने-पीने की और दवाई नहीं दी इन कमीनों को कोरोना योद्धा बुलाया जा रहा है लेकिन यह योद्धा नहीं जल्लाद है। मैंने मेरे मित्र डॉक्टर की सलाह से लंग्स इंजेक्शन का इंतजाम किया लेकिन इन जल्लादों ने हमें जानकारी नहीं दी ।और शिवाय ऑक्सीजन के कोई उपचार नहीं किया भूख प्यास में महामारी के भय से मेरी मम्मी की रात्रि 11:10 मिनट में जान चली गयी । अस्पताल से हमे फोन करके बताया कि आपके मम्मी नही रहे आप शपथ पत्र में हस्ताक्षर करने आ जाइए । हम रात्रि 4 बजे अस्पताल पहुचे तो वहां बताया कि मम्मी का शव MYH अस्पताल भेज दिया है वहां से आप ले लीजिए । उसके बाद हमने वहां से शव लेकर बगैर परिवार के सिर्फ 4 लोगो ने इंदौर में अंतिमhi संस्कार किया ।

अंत मे जांच की जानकारी लेने पर मम्मी की कोरोना जांच नेगेटिव होने की जानकारी मिली।

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