नवरत्न मल जैन
सनावद की बेटी भी पिता की भांति चली संन्यास मार्ग पर।
शास्त्रों में उल्लेख है कि श्री ऋषभदेव भगवान की दीक्षा के बाद उनके पुत्रो तथा पुत्रियों श्री ब्राह्मी एवम सुंदरी ने भी आर्यिका दीक्षा ली।
वर्तमान युग मे भी पुराणिक इतिहास दृष्टिगत हो रहा है
वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से श्री श्रवण बेलगोला में दीक्षा लेकर श्री तिलोकचंद जी सनावद मुनि श्री चारित्र सागर जी सन 1993 में बने, वही लौकिक जीवन की पोती बाल ब्रह्मचारिणी सिद्धा दीदी सनावद ने भी आचार्य श्री से श्रवण बेलगोला में 25 अप्रैल 2018 को दीक्षा लेकर श्री महायशमती जी नाम करण प्राप्त किया।
उन्ही कदमो की पुनरावर्ती लौकिक पुत्री साधना दीदी जो 7 प्रतिमा धारी है वह भी नारी जगत की सर्वोच्च आर्यिका दीक्षा आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से 5 अक्टूबर 2022 को श्री महावीर जी मे लेगी। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि आपके भतीजे श्री नरेन्द्र सनावद ने भीआचार्य श्री सन्मति सागर जी से दीक्षा लेकर मुनि श्री श्रेष्ठ सागर बने है। पीहर पंचोलिया परिवार से 6 दीक्षाएं हुई है।गृहस्थ अवस्था के भाई अजय एवम राजेश पंचोलिया ने विशेष जानकारी में बताया कि
श्रीमती लीलावती श्री त्रिलोक चंद जीसनावद की पुत्री साधना का जन्म 4 जुलाई 1962 को सनावद में हुआ ।आपका विवाह महेश्वर में आदरणीय श्री शरद जी कंठाली से हुआ। आपके एक पुत्री सावन तथा पुत्र समर कंठाली है। पिताजी की मुनि दीक्षा से प्रभावित आपके कदम वैराग्य मार्ग पर धीमे किंतु मजबूती दृढ़ता से बढ़ने लगे।
बचपन मे दादी ओर मम्मी से प्राप्त संस्कारो धार्मिक शिक्षा से वैराग्य का बीज अंकुरित होता रहा। आपकी दादी प्रतिदिन एक रस छोड़कर एकासन से भोजन करती थी। सिद्ध क्षेत्र सिद्धवरकूट के निकट सनावद होने से सनावद में अनेक बड़े आचार्यो आर्यिका माताजीयो के चातुर्मास का संत समागम सनावद में मिला। आपने सन 2001 में आजीवन शुद्ध जल ग्रहण करने का नियम सनावद में लिया। सन 2002 को लौकिक पिता श्री चारित्र सागर जी की समाधि को सनावद में बहुत नजदीक से देखने का पुण्य अवसर मिला।
आपके जीवन मे टर्निंग पाइंट पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी के गृह जन्म निमाड़ जिले का प्रथम सिद्धवरकूट चातुर्मास रहा। लगातार 4 माह चौका लगाया तब 8 दीक्षाएं नजदीक से देखी। वर्ष 2016 पावागिरी उन सिद्ध क्षेत्र में पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री के निर्देशन में हुए पंच कल्याणक में आप दोनों दम्पति को सौधर्म इंद्र एवम इंद्रानी बनने का पुण्य अवसर मिला। तप कल्याणक 7 दिसंबर 2016 को 5 वर्ष में वैराग्य मार्ग पर बढ़ने के लिए आचार्य श्री संघ में शामिल होने की भावना व्यक्त की। आदरणीय श्री शरद जी कंठाली का स्वास्थ्य खराब होने पर सपरिवार बहुत सेवा की अंतिम समय मे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करा कर श्री ऋषि तीर्थ पर आचार्य श्री प्रसन्न ऋषि जी संघ सानिध्य में समता पूर्वक समाधि मरण हुआ। पारिवारिक दायित्व पूर्ण कर विगत 3 वर्षों सेआचार्य श्री संघ में शामिल होकर बुआजी के नाम से प्रसिद्ध है।
वर्ष 2017 में आपने आजीवन ब्रहचर्य व्रत श्रवण बेलगोला में राष्ट्र गौरव आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से लिया।
दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ाया
वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी के निमाड़ आगमन पर धामनोद में वर्ष 2022 को समस्त परिजनों के सहित उत्साह पूर्वक दीक्षा हेतु आचार्य श्री को श्रीफल भेंट कर दीक्षा हेतु निवेदन किया।
व्रत नियम
दो प्रतिमा के नियम 15 जुलाई 2021 को कोथली कर्नाटक में लिए तथा 7 प्रतिमा के नियम 29 अगस्त 2022 को आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से श्री महावीर जी मे लिया।
दश लक्षण पर्व 2022 में महावीर जी अतिशय क्षेत्र में उत्तम आकिंचन्य दिवस पर घर चल अचल सभी ब्राह्य परिग्रह का आजीवन त्याग आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी समक्ष किया।
आगामी 5 अक्टूबर 2022 दशहरे पर आपकी दीक्षा अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी मे पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी के कर कमलों से होगी।