बड़वानी-नरेश रायक
जैन समाज के पर्वराज पर्यूषण प्रारंभ
प्रथम दिन _उत्तम क्षमा धर्म
दिगम्बर जैन समाज के पर्युषण पर्व आज से प्रारंभ होगया, इस अवसर पर दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र बावनगजा पर विराजित संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य द्वय मुनिश्री दुर्लभ सागर जी एवम मुनि श्री संधान सागर जी के सानिध्य में कार्यक्रम प्रारंभ हुए। ,आज युवा मुनि और प्रखर वक्ता मुनिश्री संधान सागर जी ने अपनी ओजस्वी वाणी में महती जन सभा को संबोधित करते हुए कहा की हमारे अंदर ऐसी क्षमा आनी चाहिए की जो हमारा प्रतिकार कर रहा है उसके प्रति भी उपकार आनी चाहिए। हमारी ऐसी भावना होनी चाहिए की बदला लेने वाले की भावना ही बदल जाए क्षम्य धातु से क्षमा बनाए । धरती जैसे और वृक्ष जैसी होना चाहिए जैसे धरती पर तुम कुछ भी करो बदले में वो आपको रहने दे रही है, जल दे रही है, खेत में हमे खाने की सामग्री धरती के माध्यम से मिल रही है । और वृक्ष को तुम पत्थर मारते हो तब भी वो तुम्हे छाया, और मीठे फल देता है ।
ये दस धर्म भी बीज से वृक्ष बनने की यात्रा है धरती को बीज डालने से पूर्व पानी डाल कर मृदु बनाया जाता है धरती को क्षमा का पर्यायवाची कहा जाता है मुनिश्री ने बताया की ये 4 बातो को ध्यान रखना क्रोध, कलह,विरोध और प्रतिशोध नही करना चाहिए ।और यही उत्तम क्षमा धर्म है और उसके लिए क्रोध को कम कर दो जिससे कलह नहीं होगी और न विरोध होगा और कलह नहीं होगा तो प्रतिशोध की भावना भी नही आयेगी । और क्रोध को नियंत्रण करने के लिए भी ये 4 बाते ध्यान रखो समग्र चिंतन जिससे क्रोध काम होगा, अपेक्षा न रखे ,अपेक्षा की उपेक्षा होने पर क्रोध आता है ,सकरात्मक सोच रखे ,गुस्सा जब भी आए तो सकारात्मक सोच रखें/त्वरित प्रतिक्रिया न दे ।
और विश्व में शांति चाहते हो तो ही को छोड़ दो और भी को शामिल कर दो जीवन के ६३ बनो ३६ नही क्युकी तिरसठ एक दूसरे के सामने प्रेम प्रदर्शित कर रहे है तो छत्तीस एक दूसरे को पीठ दिखा रहे है ।
मीडिया प्रभारी मनीष जैन ने बताया की प्रातः 5.30पर योग प्राणायाम की विभिन्न योग शिविरार्थियों को मुनिश्री संधान सागर जी ने करवाए मुनिश्री ने कहा की आचार्य शुभचंद्र महाराज के भ्राता भृति हरि ज्ञानार्ण्व में अष्टनह योग का वर्णन आया है ।और बताया की 84लाख आसन होते है ,और पवन मुक्तासन की 16क्रियाएं होती है और विस्तार से समझाया। फिर आचार्य वंदना की गई उसके पश्चात बाल ब्रह्मचारी अंकुर भैया के निर्देशन में ध्वजारोहण किया गया जिसके की मुख्य पात्र रेखा दिनेश जी गंगवाल मुंबई थे, मंडप उद्घाटन ममता जी राजकुमार जी जैन मंडला ने किया और फिर शिविर में आए शिविरार्थियों ने भगवान को समवशरण में और बेदी जी में विराजमान किया उसके बाद पात्रों का चयन किया गया जिसमे सौधर्म इंद्र आनंद जी जैन इंदौर,विनोद जी दोशी बाकानेर,यज्ञ नायक मदनलाल जी बड़जातिया अजनास, कुबेर संभव जी शिवानी जी दिल्ली, दिनेश जी जैन कठलाल आज के श्रावक श्रेष्ठि आशादेवी,नरेश जी बड़जतिया को बनाया गया , अखण्ड ज्योति के प्रवीणा लोकेश पहाड़िया बड़वानी को सौभाग्य मिला ।पश्चात उपस्थित श्रावको और समाज जन ने नित्य नियम, दस लक्षण, उत्तम क्षमा धर्म, बीस तीर्थंकर ,पांचमेरू की पूजन की गई।
आज के कार्यक्रम में जिला प्रधान एवम मुख्य न्यायाधीश आनंद जी तिवारी और श्री अमित सिंह जी सिसोदिया ,सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने आचार्य श्री के चित्र का अनावरण और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया श्री तिवारी जी ने अपने उद्बोधन में कहा की मुझे लगता है की आज मेरे जन्म जन्म के पापो का प्रक्षालन होगया आज उत्तम क्षमा के दिन मेरे से आज तक जो भी गलतियां जानते या अनजाने में हुई है इस परम सिद्ध भूमि में मुनिश्री के सामने क्षमा प्रार्थी हु ,इस सिद्ध भूमि की हम सभी को इतनी शक्ति मिले की हम लोक कल्याण का कार्य कर सके आगे तिवारी सा. बोले की आज मेरा जन्म सफल होगया। सिसोदिया जी ने भी अपना संक्षिप्त उद्बोधन में कमेटी को धन्यवाद ज्ञापित किया ।
दोपहर के सत्र में सामायिक के बाद मुनिश्री ने तत्वार्थ सूत्र की क्लास ली और श्रावको को समझाया शाम के सत्र में मुनिश्री ने ध्यान करवाकर प्रतिक्रमण करवाया और अपने किए पापो का प्रायश्चित करवाया, रात्रि में भगवान की आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।