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बड़वाह में श्रीमति सुनीता सुनील कंकुचोपडा ने सिद्धि तप कर रचा इतिहास ।

बडवाह -नवरत्न जैन
पयूर्षण के दौरान बड़वाह करही  में लगे तपश्चर्या के ठाठ।
बड़वाह में श्रीमति सुनीता सुनील कंकुचोपडा ने सिद्धि तप कर रचा इतिहास ।

बड़वाह – इस बार करही में परमपूज्य  उत्कृष्ठ क्रिया धारक श्री गुलाबमुनि जी महाराज  एवं बड़वाह में  औजस्वी व्याख्यानी परम पूज्य महासति श्री सुवर्णा जी महाराज  का मंगल चातुर्मास होने से  दोनो स्थानों पर श्वैताम्बर जैन श्री संघ में धर्माराधना एवं तपश्चर्या के ठाठ  लगे हुये है । करही में जहां पूज्य गुरूदेव के चातुर्मास  के दौरान त्याग तपस्या एवं धर्माराधना  का क्रम निरंतर जारी है  वहीं बड़वाह शहर में परमपूज्या महासति श्री सुवर्णा जी  महाराज की प्रेरणा से  पूरा संघ तपस्या के रंग में रंगा हुआ नजर आरहा है ।
सबसे पहले जहां निमाड़ की बेटी परम पूज्य महासति श्री  मौन श्री जी महाराज ने  मासक्षमण की कठोर  तपस्या  की आराधना कर  संघ के श्रावक श्राविकाओं के लिये अनुकरणीय उदाहरण  सामने रखा  वहीं  गुरूणी मैया की प्रेरणा से  श्रावक श्राविकाओं में विभिन्न तपस्याओं की श्रृखंला  अनवरत जारी है । छोटे छोटे बालक बालिकाऐं  हो या युवा व बुर्जग  सभी यथा शक्ति तपस्या कर  अपने कर्मो की निर्जरा कर रहे है ।
बड़वाह में  श्रीमति सुनीता कंकुचौपडा ने  सिद्धितप  कर रचा इतिहास
यह पूज्य गुरूणी मैया का ही अतिशय है कि नगर के धर्मनिष्ठ सुश्राावक  एवं चातुर्मास समिति के अघ्यक्ष श्री सुनील कंकुचोपडा जी की धर्मपत्नी श्रीमति  सुनीता जी कंकु चोपडा ने  जैन  आगमों में वर्णित  कठोरतम सिद्धितप  की आराधना कर  बड़वाह नगर में तपस्या का एक दुर्लभ इतिहास रच दिया । वैसे तो जैन समाज में  वर्षीतप, मासक्षमण  जैसी कठोर  तपस्या करने वाले आराधक  देखने  एवं सुनने में आते है लेकिन सिद्धितप की आराधना करने  वाले तपस्वी बहुत दुर्लभ  ही मिल पाते है । इस तपस्या में  साधक को पहले एक उपवास  फिर पारणा, फिर दो उपवास  फिर पारणा, फिर एक साथ तीन उपावास  फिर पारणा, फिर चार उपवास  फिर पारणा इस प्रकार पांच उपवास -पारणा , ६ उपावास  फिर पारणा , ७ उपावास फिर पारणा तथा फिर ८ उपवास  और उसके बाद पारणा  करना होता है ।
इस प्रकार साधक को कुल ४३ दिन की कठोर आराधना में  कुल ३६ उपवास  और ७ दिन पारणा  करना होता  है ।  बड़वाह श्री संघ की सुश्रााविका  एवं कंकु चोपडा की परिवार की  गौरवशाली  बहूं श्रीमति सुनीता  सुनील कंकु चोपडा की यह  आराधना अब  अपने चरम पूर्णाहूति की ओर बढ रही है । महापर्व संवत्सरी के दिन  अब सुनीता जी के सिद्धितप की पूर्णाहुती होरही है ।
पयूर्षण पर्व में बहरही है  जिनवाणी की अमृतधारा –
संघ अघ्यक्ष श्री सुगनचंद जी रोकडिया ने  बताया कि पूज्य  महासति श्री सुवर्णा जी  आदि  सति मंडल के  आगम सम्मत सारगर्भित प्रवचनों की अमृतधारा चातुर्मास एवं पयूर्षण काल के दौरान निरंतर बह रही है ।  अपने जीवन से जुड़े विषयों  पर आधारित पूज्य महासति जी के प्रवचन  श्रोताओं के दिल को छूकर  उन्हे आत्मकल्याण की ओर अग्रसर कर रहे है । बड़वाह शहर में तपश्चर्या की तो मानों  श्रावक श्राविकाओं में होड़ सी लगी है ।
श्री  विमलनाथ मन्दिर एवं श्री संंभवनाथ मन्दिर में  भी महापर्व पर्यूषण की आराधना का क्रम निरंतर जारी है । अभी भगवान का जन्म दिन दोनों स्थानों पर  उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया गया ।

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