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करही से रूपेश डाकोलिया।

विंध्याचल पवृत श्रंखला की चोटी पर विराजित माता का भव्य मंदिर।

विंध्यवासिनी मां पार्वती माता का सजा दरबार।
हजारों श्रद्धालु करेंगे प्रतिदिन करेंगे माता के दर्शन।


करही ।। निमाड़ मालवा की सीमा पर विंध्याचल पर्वत श्रृंखला की चोटी पर स्थित हजारों भक्तो की आस्था का केंद्र विंध्यवासिनी मां पार्वती माता का मंदिर में नवरात्रि उत्सव को लेकर भव्य तेयारिया की गई ।
मन्दिर ट्रस्ट द्वारा नवरात्रि उत्सव को लेकर मन्दिर तेयारिय पूर्ण कर ली गई है सोमवार से अल सुबह से माता मंदिर के पट खुलते ही निमाड़ मालवा सहित अन्य प्रांतों के हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन करेगे ।ट्रस्ट द्वारा मंदिर को आकर्षक विद्युत साज सज्जा सहित फूलों से सजाया गया है ।आने वाले भक्तो को परेशानी ना हो इसके लिए अलग अलग व्यवस्थाओं के लिए निमाड़ मालवा के 100 से अधिक भक्तो की विशेष समितियों का भी गठन किया गया है जो प्रतिदिन मंदिर की व्यवस्थाओं से लेकर चुनरी यात्राओं ,पार्किंग व्यवस्था, पेयजल,साफ सफाई,टेंट लाइटिग,दर्शन,रात्रि कालीन निगरानी, आदि की व्यवस्था देखेगी ।

मां पार्वती माता ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बताया नवरात्रि उत्सव को लेकर गत दिनों बैठक का आयोजन किया गया था जिसमें निमाड़ मालवा के पदाधिकारी व भक्त सम्मिलित हुए थे इस वर्ष नवरात्रि उत्सव पर माता का प्रतिदिन विशेष श्रंगार किया जाएगा,सुबह 7 बजे व शाम को 7 बजे माता की भव्य आरती होगी,भक्तो के लिए प्रतिदिन विशेष प्रशादि का वितरण भी होगा ।उत्सव के प्रथम दिन दोपहर 3 से शाम 6 बजे व रात्रि 8 बजे से भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा ।मन्दिर में प्रतिदिन शत चनडी महायज्ञ ,हवन पूजन विशेष पंडितो द्वारा करवाया जाएगा ।जिसमे 11 जोड़े बैठा कर सम्पन्न कराया जाएगा ।उत्सव के दौरान अनेकों गावो से भक्त पैदल चुनरी यात्राएं भी मन्दिर आएगी तथा माता को चुनरी ओढाई जाएगी ।
चैत्र व शारदीय नवरात्र के अलावा वर्षभर यहां भक्त माता के दर्शन करने आते हैं। निमाड़-मालवा क्षेत्र की सीमा पर यह एकमात्र पार्वती माता मंदिर है।। मंदिर के नीचे बना प्राचीन जाम दरवाजा भी प्रसिद्ध है।

नर्मदा पुराण में भी माता उल्लेख।

नर्मदा पुराण के अनुसार राक्षस महिषासुर स्वर्ग की चढ़ाई करने के उद्देश्य से अपनी शक्तियों का गलत उपयोग कर विनाश कर रहा था। तब सभी देवताओं ने मां पार्वती से महिषासुर का वध करने की प्रार्थना की। इसके बाद देवी ने विंध्यवासिनी का रूप धरकर इस राक्षस का वध किया। इसके बाद से ही माता महिषासुर मर्दिनी कहलाई। यहां के रहवासी बताते हैं कि माता पार्वती के दर्शन करने प्रतिदिन अल सुबह शेर भी आता है। कई लोगों ने जंगल में शेर को देखा भी है। मन्दिर में माता के दर्शन करने मात्र से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।

तीन रूपों में होते है माता के दर्शन।
पार्वती माता मंदिर में सुबह से शाम तक माता के तीन अलग अलग रूपों में दर्शन होते है।


ट्रस्ट के पदाधिकारियों व मन्दिर पुजारी ने बताया माता की प्रतिमा को ध्यान से देखने पर सुबह बाल्य अवस्था,दोपहर को युवा अवस्था,संध्या कालीन में वृद्ध अवस्था दिखाई देती है भक्तो ने बताया माता के दर्शन के लिए अल सुबह शेर भी आता है यह नजारा अनेकों भक्तो ने देखा भी है ।

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