न्यायालय अवमानना कानून के अपराधी सीसीएफ एवं एसडीओ बन गए।
न्यायालय के आदेश के उपर एसीडीओ फारेस्ट का अपना आदेश।
बैतूल /आजाद हिन्दुस्तान
जिला ब्यूरो चीफ
देवीनाथ लोखंडे।
मप्र राज्य। जिला एवं सत्र न्यायालय बैतूल ने पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करते हुए वन अपराध में जप्त वाहन को मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया। सीसीएफ ने आदेश को पढ़ा, एसडीओ ने आदेश को पढ़ा लेकिन वाहन मुक्त करने के बजाए वाहन का मूल्यांकन कर वाहन स्वामी से 01 लाख 50 हजार रूपए जमा करने का आदेश कर दिया। वाहन चालक पर खनिज का मूल्यांकन राशि जमा करने का आदेश कर दिया। कानून को चुनौती देने एवं न्याय को विफल करने वाले आदेश के कारण एसडीओ एवं सीसीएफ न्यायालय अवमानना कानून की जद् में आ गए।
वन परिक्षेत्राधिकारी सारणी द्वारा वन अपराध क्र0 69/40 में खनिज रेत का अवैध उत्खनन में ग्राम कोहिल्या निवासी कार्तिक बढ़ाल की ट्रैक्टर ट्राली जप्त कर ली थी। प्राधिकृत अधिकारी एवं उप वन मंडलाधिकारी सारणी द्वारा भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 52 में वाहन राजसात की कार्यवाही की गई लेकिन वाहन स्वामी को प्रकरण में पैरवी के लिए अधिवक्ता नियुक्त नहीं करने दिया गया था। गवाहों का परीक्षण एवं प्रतिपरीक्षण किया गया था। एसडीओ द्वारा अंततः वाहन को राजसात कर लिया गया।
अपीलीय अधिकारी एवं मुख्य वन संरक्षक बैतूल प्रफुल्ल फुलझरे ने धारा 52 (क) में अपील की सुनवाई करी और एसडीओ फारेस्ट के वाहन राजसात करने के आदेश को सही ठहरा दिया गया। विधि, न्याय एवं मानवाधिकार का यक्ष प्रश्न यह हैं कि मामूली कीमत की वनोपज के लिए क्या लाखों रूपए मूल्य का वाहन राजसात किया जाना उचित हैं?
जिला एवं सत्र न्यायाधीश बैतूल प्रणेश कुमार प्राण की अदालत में भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 52 (ख) में पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत करते हुए सीसीएफ बैतूल के आदेश को वैधानिक चुनौती दी गई थी। न्यायालय में वाहन स्वामी ने अपना बचाव स्पष्ट कर दिया कि उसे वन अपराध की कोई जानकारी नहीं थी, वह मौके पर उपस्थित नहीं था, उसकी मौनानूकूलता एवं सहमति वन अपराध में नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के न्यायदृष्टांतो का हवाला देतेे हुए जिला न्यायालय ने धारा 52 (5) का लाभ देते हुए वाहन मुक्त करने के आदेश 14 फरवरी 2023 को कर दिए। न्यायालय के आदेश पर एसडीओ फारेस्ट को विधि अनुसार कार्यवाही कर वाहन को मुक्त करना था।
प्राधिकृत अधिकारी एवं उप वन मंडलाधिकारी, सारणी ने विधि अनुसार कार्यवाही का एक अपना अलग ही अर्थ निकाल लिया। मामले में वाहन स्वामी को अपना पक्ष रखने के लिए कहा तो वाहन स्वामी ने मजबूर होकर प्रशमन धारा 68 (3) में करने का लिखित आवेदन कर दिया। एसडीओ फारेस्ट ने 03 घनमीटर खनिज (वनोपज) का मनमाना मूल्यांकन कर लिया जो 01 हजार रूपए से अधिक होता हैं तथा वाहन का मूल्यांकन करवा कर 01 लाख 50 हजार रूपए जमा करने पर वाहन मुक्त करने का आदेश कर दिया। वन अधिकारी ने धारा 52 (5) का लाभ वाहन स्वामी को नहीं दिया। इस तरह से न्यायालय अवमानना का अपराध धटित हो गया।
जिला न्यायालय बैतूल, वन अपराध के मामलों में पुनरीक्षण याचिक स्वीकार करते हुए सीसीएफ का आदेश निरस्त करती हैं तो वन विभाग उसे गंभीरता से नहीं लेता हैं बल्कि वन अपराध के मामलों को टालने एवं लटकाने की कार्यवाही उन मामलों में की जाती हैं जहॉ पर वन विभाग का पक्ष बेहद कमजोर होता हैं। वन विभाग ने एैसे भी वाहनों को जप्त करके रखा हुआ हैं जिनमें वनोपज जप्त नहीं थी और वाहन भी राजसात कर लिए गए हैं। भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 53 को वन विभाग ने महत्वहीन बना दिया हैं जिसके चलते समय पर वाहन मुक्त नहीं किए जाते हैं।
सीसीएफ की वन अदालत में वन अपराध क्र0 184/23 में अपील लंबे समय से लंबित हैं जिसमें अधिवक्ता भारत सेन कई दफा बहस कर चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायदृष्टांत पेश कर चुके हैं। इस मामले में अब तक दो सीसीएफ सुनवाई कर चुके हैं और एसीडीओ फारेस्ट के पुनरीक्षित आदेश पर दूसरी बार अपील दाखिल की गई हैं जिसमें सुनवाई कर रहे तीसरे सीसीएफ प्रफुल्ल फुलझरे हैं। सीसीएफ को लंबित अपील पर आदेश करना हैं जो कि नहीं कर रहे हैं जिसे वाहन स्वामी के नागरिक अधिकारों का बुरी तरह से हनन हो रहा हैं। इस बहुचर्तित वन अपराध के मामले में वन विभाग खुद कानून एवं न्याय के सवालों की जद् में हैं।
अपर सत्र न्यायाधीश बैतूल अशीष कुमार टांकले की अदालत से पुनरीक्षण याचिका क्र0 29/21, 30/21, 31/21 एवं 32/21 में सीसीएफ बैतूल का आदेश निरस्त करते हुए मामला पुनः सुनवाई हेतु लौटा दिया गया था। न्यायालय के आदेश पर सीसीएफ ने क्या कार्यवाही करी यह किसी भी वाहन स्वामी को पता नहीं हैं? प्राधिकृत अधिकारी एवं उप वन मंडलाधिकारी चिचोली के नोटिस पर वाहन स्वामी अपना पक्ष लिखित रूप में रख चुके हैं। बहुचर्चित इस वन अपराध में जप्त शुदा वाहनों में वनोपज जप्त नहीं हैं। मामला एसडीओ चिचोली की वन अदालत में लटका हुआ हैं।
जिला एवं सत्र न्यायालय ने वाहन स्वामी की अवमानना याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए सीसीएफ प्रफुल्ल फुलझरे एवं एसडीओ फारेस्ट सारणी अनादि बुदौलिया को 01 मई 2023 को उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी कर दिया हैं। न्यायालय अवमानना याचिका पर अधिवक्ता गोकुल आरसे एवं भारत सेन वाहन स्वामी की ओर से पैरवी कर रहे हैं।